छिबरामऊ, उत्तर प्रदेश 19-Aril-2025 — बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक नई मुसीबत बनकर सामने आया है स्मार्ट मीटर! जहां एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया और स्मार्ट सिटी के सपनों को साकार करने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ कुछ जगहों पर इन योजनाओं के नाम पर आम जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है। छिबरामऊ में डीवीवीएनएल (DVVNL – डक्चनांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड Chhibramau Dvvnl office smart meter problem) द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों को लेकर कुछ चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं।

स्मार्ट मीटर और जिओ सिम: तकनीक की आड़ में धोखाधड़ी?
छिबरामऊ के कई मोहल्लों में पिछले कुछ हफ्तों से बिजली विभाग की टीम घर-घर जाकर पुराने मीटर हटाकर नए “स्मार्ट मीटर” लगा रही है। इन मीटरों की खास बात ये है कि इनमें जिओ कंपनी की सिम डाली गई है, जिससे मीटर रीडिंग अपने-आप विभाग तक पहुंच जाती है। यानी अब मीटर रीडर की जरूरत नहीं, सबकुछ ऑटोमेटिक।
लेकिन असली कहानी तो यहां से शुरू होती है!
मीटर लगाने के बाद शुरू होती है पैसों की मांग
स्थानीय निवासियों ने शिकायत की है कि जैसे ही उनके घर स्मार्ट मीटर लगाया जाता है, उसी दिन या अगले दिन कोई व्यक्ति उनसे पैसों की मांग करने आ जाता है। आमतौर पर ये मांग ₹200 से ₹500 तक की होती है। और ये पैसे किसी रसीद के साथ नहीं लिए जा रहे, बल्कि खुले तौर पर कहा जा रहा है कि “अगर पैसे नहीं दिए तो आपकी मीटर की सीलिंग रिपोर्ट नहीं बनेगी!”
सीलिंग रिपोर्ट ना मिलने का मतलब?
अब आप सोचेंगे कि ये “सीलिंग रिपोर्ट” क्या होती है। दरअसल, जब नया मीटर लगाया जाता है, तो उसकी एक वैध रिपोर्ट बनाई जाती है जिसमें लिखा होता है कि मीटर सही तरीके से फिट किया गया है और उसकी सीलिंग (सील) सही है। यही रिपोर्ट बाद में बिलिंग, शिकायतों या किसी कानूनी विवाद में काम आती है।
अब सोचिए – अगर किसी को ये रिपोर्ट नहीं दी जाती तो उसका मीटर “अनधिकृत” भी ठहराया जा सकता है। और फिर बिजली विभाग खुद ही उस पर जुर्माना भी ठोक सकता है!
किसने दी जानकारी? एक पीड़ित की आपबीती
हमने छिबरामऊ के मोहल्ला लोहा मंडी निवासी श्री रामबाबू (परिवर्तित नाम) से बात की। उनका कहना है:
“मेरे घर पर पिछले हफ्ते स्मार्ट मीटर लगाया गया। अगले ही दिन दो लोग आए और बोले कि ₹300 देने होंगे। मैंने पूछा क्यों? तो बोले कि सीलिंग रिपोर्ट तभी मिलेगी। मैंने मना कर दिया, तो बोले कि फिर रिपोर्ट नहीं बनेगी, आगे खुद झेलो। अब मैं डरा हुआ हूं कि कहीं कोई फर्जी बिल न आ जाए।”
कई घरों में एक ही कहानी
रामबाबू अकेले नहीं हैं। मोहल्ला कटरा, नई बस्ती जैसे इलाकों से भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं। लोगों ने बताया कि उन्हें भी पैसों के लिए परेशान किया गया, और जिन लोगों ने पैसे नहीं दिए, उनके मीटर की सीलिंग रिपोर्ट नहीं बनाई गई।
कुछ लोगों ने डर के मारे पैसे दे दिए, तो कुछ ने थाने जाकर शिकायत करने की भी बात कही है। लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या कहता है बिजली विभाग?
जब इस संबंध में छिबरामऊ के DVVNL बिजली कार्यालय में संपर्क किया गया, तो वहां के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:
“स्मार्ट मीटर का इंस्टॉलेशन एक ठेके पर दिया गया है। ठेकेदार की टीम मीटर लगाती है। अगर वे लोग गैरकानूनी तरीके से पैसे वसूल रहे हैं, तो इसकी जांच होनी चाहिए। लेकिन हमें अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है।”
यह बयान जितना सामान्य है, उतना ही अस्पष्ट भी।
तकनीक का दुरुपयोग या प्रशासन की लापरवाही?
सवाल उठता है कि अगर स्मार्ट मीटर में जिओ की सिम डली है, और सब कुछ डिजिटल हो रहा है, तो फिर ये सीलिंग रिपोर्ट क्यों नहीं स्वतः जनरेट हो रही? और अगर हो रही है, तो उसे उपभोक्ताओं को क्यों नहीं दिया जा रहा?
क्या ये पूरा खेल सिर्फ पैसे वसूलने का नया तरीका है?
क्या है कानूनी स्थिति?
बिजली अधिनियम 2003 के अनुसार, कोई भी उपभोक्ता जब तक बिजली का उपयोग कर रहा है और बिल चुका रहा है, तब तक उस पर कोई गैरकानूनी दबाव नहीं बनाया जा सकता। मीटर लगाना विभाग की जिम्मेदारी है, उपभोक्ता की नहीं।
सीलिंग रिपोर्ट देना भी विभाग की ड्यूटी में आता है, न कि किसी एजेंट की उगाही का जरिया!
अगर आपके घर पर स्मार्ट मीटर लगा है और आपसे भी पैसे मांगे गए हैं, तो इन स्टेप्स को अपनाइए:
किसी भी बातचीत की रिकॉर्डिंग या वीडियो बना लें।
DVVNL की हेल्पलाइन पर शिकायत करें।
अगर बात न बने तो लोकायुक्त या बिजली लोकपाल से संपर्क करें।
सोशल मीडिया पर आवाज उठाएं ताकि ज्यादा लोग जागरूक हो सकें।
स्मार्ट मीटर, स्मार्ट ठगी?
सरकार की योजना तो यह थी कि तकनीक से पारदर्शिता लाई जाए, लेकिन कुछ लोगों ने इसे ही अपने फायदे का जरिया बना लिया है। छिबरामऊ में जो हो रहा है, वो सिर्फ एक शहर की कहानी नहीं है – ये पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।
अगर अब भी हम चुप रहे, तो कल हमारे घर की बारी हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि हम जागरूक रहें, दूसरों को भी सचेत करें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं।
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