छिबरामऊ, 14 December 2024: छिबरामऊ का एक छोटा सा मोहल्ला, बनवारी नगर। एक ओर यहां की गलियों में बच्चों की किलकारियां गूंजती हैं, तो दूसरी ओर एक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। बात है एक मंदिर की, जो मोहल्ले के बीचों-बीच स्थित है। इस मंदिर के पुजारी रमाशंकर, जो न केवल भगवान की सेवा करते हैं, बल्कि मोहल्ले के लिए आध्यात्मिकता का केंद्र भी हैं। लेकिन गुरुवार की शाम एक ऐसा तूफान लेकर आई जिसने रमाशंकर के साथ-साथ पूरे मोहल्ले को झकझोर दिया।
मंदिर और पुजारी का महत्व
रमाशंकर, गोवर्धन लाल के पुत्र, ने अपने जीवन का हर पल भगवान की सेवा में समर्पित कर दिया है। उन्होंने अपने घर के बाहर एक मंदिर बनवाया, जहां वे नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं। सुंदरकांड का पाठ, जो न केवल भगवान राम की स्तुति है बल्कि जीवन के संकटों को दूर करने का साधन भी माना जाता है, रमाशंकर इसे बड़ी श्रद्धा और लगन से करते हैं। मोहल्ले के लोग भी इस पाठ को सुनकर अपनी समस्याओं का समाधान पाते हैं। लेकिन इसी पूजा पाठ को लेकर कुछ दबंगों को परेशानी हो रही थी।
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गुरुवार की वह काली शाम
गुरुवार का दिन था। रमाशंकर हमेशा की तरह अपने मंदिर में सुंदरकांड का पाठ कर रहे थे। मंदिर में भक्तिमय माहौल था, लेकिन तभी वहां पड़ोस में रहने वाले एक परिवार के लोग आए। उन्होंने गालीगलौज करना शुरू कर दिया। आप सोच सकते हैं, भगवान के मंदिर में ऐसा अभद्र व्यवहार? रमाशंकर ने उन्हें रोका, लेकिन उनकी यह कोशिश उल्टी पड़ गई।
गाली से मारपीट तक का सफर
जैसे ही रमाशंकर ने उन्हें गाली देने से रोका, वे दबंग उन पर टूट पड़े। उनकी चीखपुकार ने आसपास के लोगों का ध्यान खींचा। रमाशंकर को जमीन पर गिरा दिया गया और उन पर लात-घूंसों की बरसात शुरू कर दी गई। मोहल्ले के लोग जब तक वहां पहुंचे, तब तक रमाशंकर बुरी तरह घायल हो चुके थे।
आरोपियों की धमकी और मोहल्ले में डर का माहौल
जब मोहल्ले के लोग रमाशंकर को बचाने आए, तब आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी और वहां से भाग निकले। यह घटना न केवल रमाशंकर के लिए बल्कि पूरे मोहल्ले के लिए डर का माहौल बन गई।
पुजारी की न्याय की गुहार
घटना के बाद, घायल रमाशंकर ने हिम्मत जुटाई और छिबरामऊ कोतवाली में जाकर आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी। उन्होंने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में उचित कार्रवाई करेगा?
मोहल्ले वालों की प्रतिक्रिया
इस घटना ने मोहल्ले में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग कह रहे हैं कि अगर मंदिर के पुजारी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों का क्या होगा? रमाशंकर, जो हमेशा दूसरों के भले की सोचते हैं, आज खुद न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
उदाहरण: धार्मिक स्थल पर विवाद क्यों?
ऐसी घटनाएं हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि धार्मिक स्थलों पर भी विवाद क्यों होते हैं? क्या यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारियों की कमी नहीं है? एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि एक मोहल्ले में स्कूल है और वहां के बच्चों की पढ़ाई में किसी का शोर-शराबा व्यवधान डालता है। क्या यह उचित है? बिल्कुल नहीं। इसी तरह, धार्मिक स्थलों पर भी शांति और सम्मान बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।
प्रशासन से उम्मीदें
पुजारी रमाशंकर की यह घटना प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है। अगर ऐसे मामलों में जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो दबंगों का हौसला और बढ़ जाएगा। रमाशंकर जैसे निर्दोष लोगों को न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
समाज को सीखने की जरूरत
इस घटना ने हमें एक बड़ा सबक दिया है। हमें अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए एकजुट होना होगा। अगर मोहल्ले के लोग पहले ही इन दबंगों को रोक देते, तो शायद यह घटना न होती।
आपकी राय क्या है?
इस घटना ने आपके दिल को छुआ होगा। आप क्या सोचते हैं? क्या ऐसे मामलों में समाज को खुद आगे आकर न्याय की मांग करनी चाहिए? हमें अपनी राय साझा करनी चाहिए और अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
छिबरामऊ का बनवारी नगर इस समय न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है। पुजारी रमाशंकर के साथ हुई इस घटना ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारा समाज सही दिशा में जा रहा है? हमें उम्मीद है कि प्रशासन जल्द कार्रवाई करेगा और रमाशंकर को न्याय मिलेगा। लेकिन इसके साथ ही हमें भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।