कोतवाली छिबरामऊ में पुलिस ने भांजी लाठी, कई घायल

20 May 2025 छिबरामऊ, उत्तर प्रदेश, Ramprakash Chaturvedi — सोमवार देर रात छिबरामऊ में जो कुछ घटा, उसने न केवल एक परिवार को गहरे दुख में डाल दिया (Chhibramau police lathi charge krishna hospital), बल्कि पूरे शहर को गुस्से और सवालों से भर दिया। एक 15 वर्षीय छात्रा की मौत के बाद लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और अंततः यह आक्रोश कोतवाली तक जा पहुंचा, जहां सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से मामला और गरमा गया और यह पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया।

Chhibramau police lathi charge krishna hospital
Chhibramau police lathi charge krishna hospital

मूल रूप से बेहटा खास गांव के रहने वाले राजेश कुमार गुप्ता की बेटी रुचि उर्फ लाडो बीमार पड़ी थी। परिजनों के अनुसार, उसे हल्का बुखार था और बेहतर इलाज के लिए शहर के श्रीकृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जो जीटी रोड बाईपास पर स्थित है। यहां पर इलाज के दौरान उसे जो इंजेक्शन दिया गया, उसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई। जब तक परिवार वाले उसे फर्रुखाबाद के बड़े अस्पताल ले जा पाते, रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इस मौत को लेकर परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और गलत इलाज का आरोप लगाया। जैसे ही यह खबर फैली, अस्पताल के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई। धीरे-धीरे यह भीड़ बढ़ती गई और रोष में बदल गई।

अस्पतालकर्मियों को लेकर लोगों का गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने अस्पताल के अंदर घुसने का प्रयास किया। अस्पतालकर्मियों ने डर के चलते खुद को ऊपरी मंजिल पर बंद कर लिया। दोपहर करीब दो बजे शुरू हुआ यह हंगामा शाम तक जारी रहा। शाम होते-होते लोगों ने जीटी रोड पर जाम भी लगा दिया, जिससे यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया। पुलिस ने जब छात्रा के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने का प्रयास किया, तो लोगों और पुलिस के बीच बहस और फिर झड़प शुरू हो गई। पुलिस ने शव को लोडर में रखवाने की कोशिश की, जिस पर लोगों ने विरोध किया और नोकझोंक शुरू हो गई। हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और लाठियां चलाई गईं। इसमें कई लोग चोटिल हो गए और भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।

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इस लाठीचार्ज ने स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश भर दिया। रात होते-होते छिबरामऊ और आसपास के इलाकों से लोग एकजुट होकर कोतवाली पहुंचे और वहां प्रदर्शन शुरू कर दिया। सैकड़ों लोगों ने कोतवाली का घेराव किया और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की। मृत छात्रा के लिए न्याय की मांग करते हुए लोगों ने कोतवाली गेट पर पहुंचकर अंदर घुसने की कोशिश की। इसी दौरान फिर से पुलिस और भीड़ के बीच धक्का-मुक्की हुई और स्थिति को संभालने के लिए एक बार फिर से लाठीचार्ज हुआ।

भीड़ में मौजूद कई लोगों को चोटें आईं, जिनमें कुछ नाम भी सामने आए – मंडी अध्यक्ष आदेश गुप्ता, सौरिख के दिनेश गुप्ता, विमल गुप्ता, हिमांशु चौहान और राहुल आदि घायल हुए हैं। पुलिस का कहना था कि भीड़ ने स्थिति को संभालने का मौका नहीं दिया और कुछ लोग अस्पतालकर्मियों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे, जिस कारण लाठीचार्ज किया गया। कोतवाल अजय कुमार अवस्थी ने सफाई दी कि पुलिस ने किसी निर्दोष पर बल प्रयोग नहीं किया, बल्कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया गया।

इधर, छात्रा की मौत और पुलिस कार्रवाई का मामला राजनीतिक गलियारों में भी पहुंच गया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि अगर एक साधारण बुखार के इलाज में बच्ची की जान चली जाए, तो यह सरकार की विफलता है।

Archana Pandey MLA Chhibramau
Archana Pandey MLA Chhibramau

वहीं भाजपा विधायक अर्चना पांडेय ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की और मृत छात्रा के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। सपा के पूर्व विधायक अरविंद सिंह यादव ने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग उठाई, जबकि भाजपा के जिला उपाध्यक्ष विपिन द्विवेदी ने इस प्रकरण की गहराई से जांच की मांग की है।

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छात्रा की मौत और उसके बाद उठे विवाद को देखते हुए प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया और श्रीकृष्णा हॉस्पिटल को सीज कर दिया गया। सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. राहुल मिश्रा की निगरानी में यह कार्रवाई की गई। अस्पताल की ऊपरी मंजिल पर करीब 10 घंटे से बंद स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन इस दौरान भीड़ फिर हमलावर हो गई, जिससे पुलिस को एक बार फिर लाठीचार्ज करना पड़ा।

पूरे शहर में इस घटना को लेकर चर्चा का माहौल बना हुआ है। लोगों का कहना है कि अगर एक बुखार की मरीज बच्ची की जान चली जाए और उसके परिजनों को न्याय मांगने पर लाठियां खानी पड़ें, तो यह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है। लोग ये भी पूछ रहे हैं कि क्या अब गरीबों के बच्चों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं रह गई है? क्या इलाज मांगना अब खतरे में डालने जैसा हो गया है?

इस पूरी घटना ने छिबरामऊ के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। एक छात्रा की मौत से उठे सवाल अब सिर्फ एक परिवार के नहीं, पूरे समाज के बन गए हैं। पुलिस और प्रशासन की भूमिका को लेकर लोगों के मन में नाराजगी है, वहीं राजनीतिक दलों ने भी इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। अब देखना यह है कि इस मामले में जांच किस दिशा में जाती है और क्या वाकई किसी को दोषी ठहराया जाएगा या फिर यह मामला भी धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

छिबरामऊ की यह घटना केवल एक मौत नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की असलियत को सामने लाती है, जिसमें एक आम नागरिक की आवाज़ तब तक नहीं सुनी जाती, जब तक वह सड़कों पर उतरकर चिल्लाता नहीं। यह कहानी रुचि की नहीं, हर उस आम इंसान की है, जो अपने बच्चों के लिए बेहतर इलाज और न्याय की उम्मीद करता है, लेकिन बदले में लाठियां (Chhibramau police lathi charge krishna hospital) और आरोप झेलता है। सवाल यही है कि क्या हम ऐसे ही समाज में जीने को मजबूर रहेंगे या फिर कोई बदलाव आएगा?

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