Chhibramau 25-April-2025: सिकंदरपुर…जो छिबरामऊ के पास बसा है, जहां ज़िंदगी अभी भी अपनी धीमी रफ्तार में चलती है। लेकिन इस बार इस गाँव की रफ्तार एकाएक तेज हो गई, जब यहां की बेटी रिया शर्मा ने पूरे जिले में नाम रौशन कर दिया। यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में रिया ने 94% अंक प्राप्त कर जिले में 9वां स्थान हासिल किया। ये सिर्फ एक रिजल्ट नहीं था, ये उस मेहनत, त्याग और संघर्ष की कहानी थी जिसे हर माँ-बाप, हर छात्र और हर शिक्षक को सुनना चाहिए।
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📚 पढ़ाई का जुनून, सपनों का सफर
रिया शर्मा, जो कि सिकंदरपुर के रहने वाले श्री शैलेन्द्र शर्मा की पुत्री हैं, बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थीं। लेकिन जिस गाँव में लड़कियों की पढ़ाई अक्सर 8वीं या 10वीं तक ही सीमित रह जाती है, वहाँ से निकलकर जिले की टॉप टेन लिस्ट में जगह बनाना कोई आम बात नहीं है।
रिया की माँ बताती हैं, “बिजली अकसर नहीं आती थी, तो रिया दीपक और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में पढ़ती थी। बारिश हो या गर्मी, उसका पढ़ाई के प्रति जो समर्पण था, वो देख के हम भी हैरान रह जाते थे।”
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🌧️ संघर्ष की कहानी – जब हालात थे मुश्किल
रिया का सफर आसान नहीं था। कई बार स्कूल तक जाने के लिए उसके पास साइकिल भी नहीं होती थी। लेकिन पढ़ाई के लिए उसका जो जुनून था, उसने कभी रुकने नहीं दिया। स्कूल की दूरी, गर्मी की तपन, और घर के काम… सब कुछ होते हुए भी रिया ने हार नहीं मानी।
एक बार जब उसकी तबियत खराब हुई थी, डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी। लेकिन परीक्षा नज़दीक थी। रिया (Chhibramau UP Board Topper Sikanderpur) ने उस वक्त भी किताबें नहीं छोड़ीं। लेटे-लेटे पढ़ती रही और धीरे-धीरे ठीक होकर फिर से वही रफ्तार पकड़ ली।
📝 पढ़ाई का तरीका – अलग सोच, अलग तैयारी
रिया ने बताया, “मैंने रटने की बजाय समझने की कोशिश की। हर विषय को कहानी की तरह पढ़ा। इंटरनेट और यूट्यूब से जो समझ नहीं आता था, उसे खुद समझने की कोशिश करती थी। टाइम-टेबल बनाकर पढ़ाई की और हर दिन की तैयारी का खुद रिव्यू किया।”
उसका ये तरीका न सिर्फ उसे तनाव से बचाता रहा, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाता रहा। रिया कहती हैं, “हर रात मैं खुद से पूछती थी – क्या आज मैंने अपना 100% दिया?”
🎓 गुरु का योगदान – जब टीचर बनें परिवार से बढ़कर
रिया की सफलता में उसके शिक्षकों का भी बड़ा हाथ रहा। उसके स्कूल के गणित शिक्षक रमेश सर बताते हैं, “रिया जैसी छात्रा सालों में एक बार मिलती है। उसके सवाल करने की आदत और हर चीज़ को गहराई से समझने की कोशिश उसे दूसरों से अलग बनाती है।”
गांव के टीचर्स ने भी उसे पूरा सहयोग दिया। रिया को कभी-कभी ट्यूशन की फीस नहीं देनी पड़ती थी क्योंकि उसके गुरुजन मानते थे कि ज्ञान को पैसे की सीमाओं में नहीं बांधा जाना चाहिए।
🏆 जिले में नौवां स्थान – केवल एक नंबर नहीं
रिया ने 94% अंक लाकर जिले में 9वां स्थान पाया है। ये नंबर उसके संघर्ष, उसकी लगन और उसकी ईमानदारी का प्रतीक है। ये नंबर सिकंदरपुर जैसे छोटे गांव की बेटियों के लिए एक उम्मीद की किरण है कि अगर मन में हिम्मत हो और इरादा पक्का हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
🧑🤝🧑 परिवार की भूमिका – माँ-बाप का त्याग
रिया के पिताजी शैलेन्द्र शर्मा एक सामान्य नौकरी करते हैं। सीमित आय में भी उन्होंने कभी अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। कई बार खुद की जरूरतों को पीछे रखकर रिया की किताबें, यूनिफॉर्म और कोचिंग का खर्च उठाया।
रिया की माँ बताती हैं, “हमने कभी रिया को ये नहीं बताया कि हमारी आर्थिक स्थिति कितनी कमजोर है। हम बस चाहते थे कि वो पढ़े और अपना नाम बनाए।”
💡 भविष्य की योजना – डॉक्टर बनना है सपना
रिया अब आगे बायोलॉजी स्ट्रीम से इंटरमीडिएट कर रही हैं और उसका सपना है कि वो एक दिन डॉक्टर बने। वो कहती है, “मैं चाहती हूं कि हमारे गाँव में भी एक महिला डॉक्टर हो, जो महिलाओं की समस्याएं समझ सके। मैं खुद को उस रूप में देखती हूं।”
रिया की सफलता अब गाँव के और बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई है। स्कूल के कई बच्चों ने अब से रिया दीदी को अपना रोल मॉडल मान लिया है। गाँव में अब लोग कहते हैं, “अगर रिया कर सकती है (Chhibramau UP Board Topper Sikanderpur), तो और लड़कियाँ भी कर सकती हैं।”
🙏 शुभकामनाएं और सम्मान – अब हर जुबां पर है एक ही नाम
छिबरामऊ और सिकंदरपुर दोनों जगहों पर अब रिया का नाम गूंज रहा है। सोशल मीडिया से लेकर गाँव के स्कूलों तक, हर कोई रिया की मेहनत को सलाम कर रहा है। पंचायत स्तर पर भी रिया को सम्मानित करने की योजना बनाई जा रही है।