माँ कालिका देवी मंदिर छिबरामऊ आस्था और चमत्कार का केंद्र

Kalika devi mandir chhibramau outer view
Kalika devi mandir chhibramau outer view

माँ कालिका देवी मंदिर छिबरामऊ (Kalika devi mandir chhibramau) के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, जो सौरिख तिराहे से थोड़ा आगे सौरिख जाने वाली सड़क पर स्थित है। इस मंदिर में रोज़ाना दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए जीटी रोड से बेवर की ओर से आने वाले श्रद्धालु पश्चिमी या पूर्वी बाईपास पर पहुँच सकते हैं। वहाँ से ई-रिक्शा या निजी वाहन के माध्यम से सौरिख तिराहे तक पहुंचा जा सकता है। तिराहे से दक्षिण दिशा में सौरिख रोड पर स्थित यह सिद्धपीठ कालिका देवी का दरबार भक्तों के लिए खुला रहता है। कन्नौज से आने वाले श्रद्धालु भी जीटी रोड से पूर्वी बाईपास होते हुए मंदिर तक पहुंच सकते हैं। विशेष रूप से वर्ष में दोनों नवरात्रों के समय यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं।

मंदिर का चमत्कार

Kalika devi mandir Chhibramau
Kalika devi mandir Chhibramau

माँ कालिका देवी मंदिर की सबसे अनोखी और चमत्कारिक बात यह है कि यहां स्थित माता की प्रतिमा दिन में दो बार रंग बदलती है। इस अद्भुत दृश्य को बहुत से श्रद्धालुओं ने अपनी आँखों से देखा है और इसे माता का आशीर्वाद और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। भक्तों के अनुसार, यह चमत्कार किसी भी प्रकार के वैज्ञानिक तर्क से परे है और माता की अलौकिक शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। जो भी भक्त सच्चे मन से माता के दरबार में आता है, उसे यहाँ विशेष शांति और शक्ति की अनुभूति होती है।

मंदिर की स्थापना
माता कालिका देवी मंदिर की स्थापना का इतिहास भी वीरता और आस्था से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर की स्थापना अल्हा ऊदल द्वारा की गई थी, जो उत्तर भारत के महान योद्धा माने जाते हैं। बुंदेलखंड और आसपास के क्षेत्रों में इनकी कहानियां बहुत लोकप्रिय हैं। कहा जाता है कि जब अल्हा और ऊदल पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करने के लिए कन्नौज आए, तब उन्होंने माता कालिका की इस पावन स्थल पर आराधना की थी। माता कालिका के आशीर्वाद से ही वे युद्ध में अद्वितीय वीरता दिखा सके। इस प्रकार, यह मंदिर न केवल आस्था का स्थल है बल्कि इतिहास और संस्कृति का प्रतीक भी है।

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नवरात्र का विशेष महत्त्व
मंदिर में वर्ष के दोनों नवरात्रों में खास आयोजन होते हैं, जिनमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। नवरात्रों के दौरान माता की विशेष पूजा-अर्चना होती है और मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से सजाया जाता है। इस समय यहां भारी भीड़ रहती है और भक्तगण दूर-दूर से माता के दर्शन करने आते हैं। नवरात्र के मेलों में माता की जयकारों और भक्तों के उत्साह से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो जाता है।
माँ कालिका देवी मंदिर छिबरामऊ (Kalika devi mandir chhibramau), न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और चमत्कार का भी प्रतीक है। यहां की शक्ति और चमत्कारिक प्रतिमा दिन में दो बार रंग बदलती है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। अल्हा-ऊदल जैसे वीरों की आराधना से जुड़े इस मंदिर का महत्व सदियों से कायम है, और नवरात्र के दौरान यहां का वातावरण भक्तिमय और अद्वितीय होता है। यदि आप कभी छिबरामऊ आएं, तो कालिका देवी के इस सिद्धपीठ के दर्शन अवश्य करें और माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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