20 मई 2025, छिबरामऊ, उत्तर प्रदेश – एक परिवार की हंसती-खेलती दुनिया महज़ कुछ घंटों में उजड़ गई।

कृष्णा अस्पताल (Krishna hospital chhibramau Ruchi Gupta) में इलाज के लिए भर्ती कराई गई राजेश गुप्ता जी की 15 वर्षीय बेटी रुचि गुप्ता की डॉक्टरों की घोर लापरवाही के चलते मौत हो गई।
अब सिर्फ राजेश गुप्ता ही नहीं, बल्कि पूरा छिबरामऊ शहर सदमे में है।
गुस्से से भरे लोग सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
छिबरामऊ की लाडो: Krishna अस्पताल की लापरवाही से एक मासूम की मौत
🩺 लापरवाही नहीं, ये तो हत्या है – क्या चल रहा है इन प्राइवेट अस्पतालों में?
घटना की शुरुआत हुई 18 मई की शाम को, जब रुचि गुप्ता को बुखार आया था।
परिवार वाले तुरंत कृष्णा (Krishna hospital chhibramau Ruchi Gupta) अस्पताल ले गए। वहां मौजूद डॉक्टरों ने तुरंत भर्ती कर लिया और कहा कि “घबराने की कोई बात नहीं है, सब कंट्रोल में है।”
लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी।
गलत दवा, गलत इंजेक्शन और फिर मौत का सन्नाटा
अस्पताल में लाडो को जो इंजेक्शन दिया गया, वो उसकी जान ले बैठा। परिजन बार-बार कहते रहे कि दवाई के बाद बच्ची की हालत बिगड़ रही है, लेकिन डॉक्टरों और स्टाफ ने ध्यान नहीं दिया।
कुछ ही देर में लाडो की सांसें थम गईं।
क्या आप सोच सकते हैं कि एक बुखार की वजह से बच्ची की जान चली जाए? नहीं। पर जब लापरवाही सिस्टम में शामिल हो जाए, तो कुछ भी मुमकिन है।
📱 सोशल मीडिया पर लोगों का फूटा गुस्सा
घटना के कुछ ही घंटों बाद, सोशल मीडिया पर जैसे आग लग गई हो।
लोगों ने Facebook, Twitter और Instagram पर #JusticeForRuchi और #SealKrishnaHospital ट्रेंड करवाया।
लोग लिख रहे हैं:
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“अस्पताल अब इंसान बचाने की जगह पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं।”
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“अगर यही लापरवाही किसी नेता के बेटे या बेटी के साथ होती तो अब तक पूरा प्रशासन हरकत में आ चुका होता।”
🏥 क्या कृष्णा अस्पताल पहले भी विवादों में रहा है?
जी हां, ये पहला मौका नहीं है जब कृष्णा प्राइवेट अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं।
अब सवाल उठता है – कब तक ऐसे अस्पताल मरीजों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करते रहेंगे?
🗣️ क्या कह रहे हैं लोग – “हॉस्पिटल नहीं, जल्लाद हैं ये लोग”
छिबरामऊ के स्थानीय निवासी सुनील मिश्रा कहते हैं,
“मैं खुद इस अस्पताल में अपने पिता का इलाज करवा चुका हूं। बिना टेस्ट कराए ही लाखों का बिल बना दिया गया था। ये हॉस्पिटल नहीं, कमाई का धंधा है।”
एक अन्य युवा नेहा शर्मा कहती हैं,
“आज रुचि गई है, कल कोई और जाएगा। अगर अभी आवाज़ नहीं उठाई, तो ये सिस्टम हमें भी निगल जाएगा।”
🏛️ पूर्व विधायक की मांग – “50 लाख मुआवजा और दोषियों को जेल”
पूर्व विधायक अरविंद सिंह यादव ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा:
“यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि आपराधिक हत्या है।
उत्तर प्रदेश सरकार से मेरी मांग है कि पीड़ित परिवार को ₹50 लाख का आर्थिक मुआवजा दिया जाए और दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई हो।”
उन्होंने आगे कहा,
“यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो हम सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे और अस्पताल को ताले में बंद करवा कर रहेंगे।”
🚨 क्या अस्पताल को सील किया जाएगा?
लोगों की मांग बहुत स्पष्ट है:
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कृष्णा अस्पताल को तुरंत सील किया जाए
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अस्पताल की लाइसेंस रद्द की जाए
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जिम्मेदार डॉक्टरों को सस्पेंड किया जाए
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और अगर जरूरत पड़ी, तो बिल्डिंग पर बुलडोज़र चलाया जाए
हालांकि, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है।
📌 यह सिर्फ एक रुचि की कहानी नहीं है…
रुचि गुप्ता की मौत ने एक बार फिर से उस सवाल को ज़िंदा कर दिया है जो हम सब मन में रखते हैं –
“क्या गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की जान की कोई कीमत नहीं?”
भारत में हजारों ऐसे केस हर साल होते हैं जहाँ:
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इलाज के नाम पर लोगों को लूटा जाता है
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गलत इंजेक्शन या गलत दवा दी जाती है
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टेस्ट के लिए मजबूर किया जाता है
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और अगर मरीज की मौत हो जाए, तो “प्राकृतिक कारण” कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है
🧍 एक बाप की चुप्पी, जो पूरे शहर पर भारी पड़ गई
राजेश गुप्ता कुछ नहीं बोल रहे।
उनकी आंखों में अब न आँसू हैं, न आवाज़।
केवल एक सवाल — “अगर अस्पताल इलाज नहीं कर सकते, तो बोर्ड क्यों लगाते हैं बाहर?”
उनकी चुप्पी, हमें सोचने पर मजबूर करती है।
🧭 आगे क्या?
अब बॉल प्रशासन के पाले में है।
क्या छिबरामऊ में रुचि गुप्ता को न्याय मिलेगा?
क्या कृष्णा अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई होगी?
या फिर कुछ दिनों बाद यह खबर भी दूसरी बड़ी खबरों की भीड़ में खो जाएगी?
📣 पाठकों से अपील
अगर आप भी चाहते हैं कि रुचि को न्याय मिले और ऐसे अस्पतालों पर लगाम लगे,
तो इस पोस्ट को जितना हो सके शेयर करें।
आपकी एक आवाज़, किसी की ज़िंदगी बचा सकती है।
क्योंकि आज रुचि थी, कल कोई और हो सकता है।
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रिपोर्टिंग: Chhibramau.in