22 मई 2025 – छिबरामऊ शहर के मशहूर व्यापारी राजेश कुमार गुप्ता उर्फ कुकू भैया की बेटी रूचि गुप्ता (लाडो) की अचानक मौत ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। लेकिन ये कोई सामान्य मौत नहीं थी — ये एक ऐसी मौत थी जो बताती है कि कैसे एक बच्ची की जिंदगी (krishna hospital Chhibramau sanchalak Vaibhav Dubey Giraftaar) अस्पताल की लापरवाही की भेंट चढ़ गई।

और अब, इस मामले में श्री कृष्णा हॉस्पिटल के संचालक वैभव दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन क्या सिर्फ गिरफ्तारी से लाडो को इंसाफ मिलेगा? या ये एक और केस बनकर फाइलों में दब जाएगा?
लाडो को आया था सिर्फ बुखार, लेकिन अस्पताल ने बना दिया मौत का कारण
हर घर में कभी ना कभी बुखार आता है। मां-बाप दवा दिलवाते हैं, डॉक्टर दिखाते हैं, और कुछ दिनों में बच्चा ठीक हो जाता है। लाडो को भी बस हल्का बुखार ही था। लेकिन जब बच्ची थोड़ा बेचैन होने लगी, तो माता-पिता ने सोचा — चलो अस्पताल दिखा देते हैं।
छिबरामऊ के जी.टी. रोड पर स्थित ‘श्री कृष्णा हॉस्पिटल’ शहर के बड़े अस्पतालों में गिना जाता है। इसलिए बिना कुछ सोचे-समझे लाडो को वहीं ले जाया गया।
लेकिन शायद उन्हें नहीं पता था कि यही अस्पताल उनकी बेटी की जिंदगी का आखिरी ठिकाना बन जाएगा।
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गलत इंजेक्शन बना मौत का कारण – आंखों के सामने टूट गया मां-बाप का सपना
अस्पताल पहुंचते ही लाडो को इंजेक्शन दिया गया। परिजनों का कहना है कि इंजेक्शन देने के कुछ ही मिनटों बाद उसकी हालत और बिगड़ने लगी। सांसें तेज हो गईं, चेहरा पीला पड़ गया। मां घबरा गईं, पिता बार-बार डॉक्टरों को बुलाते रहे।
पर डॉक्टरों और स्टाफ का रवैया बेहद लापरवाह था। उन्होंने कहा – “ये नॉर्मल है, दवा असर कर रही है।”
लेकिन असर क्या था? कुछ ही देर में लाडो की सांसें थम गईं।
उस अस्पताल की दीवारों ने चीखें सुनी, मां की पुकार सुनी, पिता का दर्द देखा — पर डॉक्टरों ने नहीं देखा।
पूरा छिबरामऊ सन्न – लोग सड़कों पर, प्रशासन पर उठे सवाल
जब खबर फैली कि एक 15 साल की बच्ची की मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई है, तो पूरे छिबरामऊ में गुस्सा फैल गया। लोग अस्पताल के बाहर इकट्ठा होने लगे। सोशल मीडिया पर पोस्टें वायरल होने लगीं — “लाडो को इंसाफ दिलाओ”।
स्थानीय लोग बताते हैं कि श्री कृष्णा हॉस्पिटल में पहले भी लापरवाही के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन हर बार मामले को दबा दिया गया। इस बार मामला एक चर्चित परिवार की बच्ची से जुड़ा था, इसलिए लोग शांत नहीं बैठे।
कानून की गाड़ी चली – संचालक वैभव दुबे गिरफ्तार
जैसे ही मीडिया और जनता का दबाव बढ़ा, पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और श्री कृष्णा हॉस्पिटल के संचालक वैभव दुबे को गिरफ्तार कर लिया। अस्पताल को फिलहाल सील कर दिया गया है और आगे की जांच जारी है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जिस दवा का इंजेक्शन लाडो को दिया गया, वह या तो एक्सपायरी थी या फिर गलत तरीके से लगाई गई थी। फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन लापरवाही तो साफ दिख रही है।
लाडो का सपना – जो अब कभी पूरा नहीं होगा
रूचि गुप्ता, जिसे प्यार से सब “लाडो” कहते थे, एक होनहार छात्रा थी। 10वीं की पढ़ाई पूरी करके वह डॉक्टर बनना चाहती थी — लोगों की जान बचाना चाहती थी।
पर किसे पता था कि जिस पेशे को वो अपनाना चाहती थी, उसी पेशे की लापरवाही उसकी जान ले लेगी।
उसकी मां ने रोते हुए बताया – “हमने उसे दवाई दिलवाने के लिए अस्पताल भेजा था, कौन जानता था कि वो कभी वापस नहीं आएगी…”
क्या गिरफ्तारी से मिलेगा इंसाफ? या फिर ये मामला भी भूल जाएगा शहर?
वैभव दुबे की गिरफ्तारी सिर्फ एक शुरुआत है। लेकिन असली सवाल ये है — क्या सिस्टम में बदलाव आएगा? क्या अस्पतालों में जवाबदेही बढ़ेगी? या फिर कुछ दिन बाद ये खबर भी पुरानी हो जाएगी, और फिर कोई और लाडो किसी इंजेक्शन की शिकार बन जाएगी?
ये घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, ये पूरे समाज के लिए चेतावनी है।
हमें क्या करना चाहिए? – एक आम नागरिक की भूमिका
हम में से कई लोग सोचते हैं कि ये तो किसी और के साथ हुआ। पर याद रखिए, अगर हम आज आवाज नहीं उठाएंगे, तो कल वो हादसा हमारे दरवाजे पर भी हो सकता है।
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हर अस्पताल की रेगुलर जांच होनी चाहिए
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गलत इलाज पर कड़ी सजा मिलनी चाहिए
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मरीज के परिजनों को सही जानकारी देना डॉक्टर की जिम्मेदारी होनी चाहिए
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मेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग और जवाबदेही तय होनी चाहिए
अगर आप भी मानते हैं कि लाडो को इंसाफ मिलना चाहिए, तो इस खबर को दूसरों तक जरूर पहुंचाएं।
हमारी ये कोशिश जारी रहेगी – जब तक हर अस्पताल जवाबदेह नहीं बनता, जब तक हर लाडो को न्याय नहीं मिलता।