छिबरामऊ, संवाददाता Chhibramau.in 20 April 2025: रविवार की सुबह छिबरामऊ शहर के लिए कुछ अलग थी। लोगों की नजरें सड़क के किनारे लगे बड़े-बड़े चमचमाते होर्डिंग्स को ढूंढ रही थीं, लेकिन वहां कुछ भी नहीं था। जहाँ कभी नेताओं की तस्वीरें, व्यापारियों के विज्ञापन और कोचिंग सेंटर की रंगीन बोर्डें चमकती थीं, अब खाली पोल और दीवारें नज़र आ रही थीं। ऐसा क्या हुआ कि एक ही दिन में यह सब गायब हो गया?

होर्डिंग हटाओ अभियान की चौंकाने वाली शुरुआत!
छिबरामऊ नगरपालिका की टीम ने अचानक ‘होर्डिंग हटाओ अभियान’ शुरू कर दिया। रविवार को जब ज्यादातर लोग छुट्टी की तैयारी में थे (chhibramau me chala hoarding hatao abhiyan), तभी नगरपालिका की टीम एक्शन में आ गई। नगरपालिका रोड से शुरू हुआ यह अभियान धीरे-धीरे नगर के मुख्य मार्ग होते हुए पूर्वी बाईपास तक पहुंच गया।
सुबह-सुबह कर्मचारियों की एक बड़ी टीम निकली, उनके हाथों में सीढ़ियां, औजार और रस्सियां थीं। किसी को अंदाजा नहीं था कि ये टीम क्या करने वाली है। लेकिन जब पहला होर्डिंग बिजली के पोल से उतारा गया, तो सब समझ गए – कुछ बड़ा होने वाला है।
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💥 एक्शन में आई नगरपालिका – 130 से ज्यादा होर्डिंग्स हटे
इस पूरे अभियान के दौरान लगभग 130 होर्डिंग्स को हटाया गया। ये सभी होर्डिंग्स या तो अवैध रूप से लगाए गए थे, या फिर सार्वजनिक स्थानों पर लगे थे जो ट्रैफिक और लोगों की आवाजाही में रुकावट पैदा कर रहे थे।
नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया,
“हमारा मकसद किसी का नुकसान करना नहीं है, लेकिन जब सड़कों पर होर्डिंग्स की भरमार हो जाती है, तो आम जनता को परेशानी होती है। ट्रैफिक जाम, विजुअल पॉल्यूशन और कभी-कभी हादसे भी इनकी वजह से होते हैं।”
प्रचार करने वालों में मची अफरा-तफरी – एक के बाद एक बोर्ड हुए गायब
इस अभियान के बाद सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हुई, जिन्होंने होर्डिंग्स के जरिए अपना प्रचार किया था। चाहे वो कोचिंग सेंटर हो, पार्लर, मोबाइल दुकान, या फिर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेता – सभी को लगा मानो उनका ‘चेहरा’ एक झटके में गायब कर दिया गया हो।
एक कोचिंग सेंटर के संचालक ने बताया
“हमने बहुत पैसे खर्च कर के अपने होर्डिंग्स लगाए थे। हमें पहले से कोई नोटिस नहीं मिला। अब तो सब उतरवा दिए गए।”
यह शिकायत भी सामने आई कि कई लोगों ने वैध रूप से नगर पालिका से अनुमति लेकर बोर्ड लगाए थे, लेकिन उन्हें भी हटा दिया गया। हालांकि पालिका ने यह स्पष्ट किया कि जिन होर्डिंग्स ने ट्रैफिक या जनता के चलने में रुकावट डाली थी, केवल उन्हीं को हटाया गया है।
कानूनी पहलू: क्या कहते हैं नियम?
भारत में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर विज्ञापन, पोस्टर या होर्डिंग लगाने के लिए स्थानीय निकाय से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। यह प्रक्रिया न केवल नियमों के तहत आती है, बल्कि इससे नगर की सुंदरता और सुरक्षा भी बनी रहती है।
छिबरामऊ में भी कई महीनों से इस नियम का उल्लंघन हो रहा था। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े संस्थानों तक, सबने सड़क किनारे अपने बोर्ड लगा रखे थे। कुछ तो ट्रैफिक सिग्नल के ऊपर भी टंग गए थे। यह न केवल गैरकानूनी था, बल्कि खतरनाक भी।
विज्ञापन से लेकर प्रतिष्ठा तक – नुकसान में कौन-कौन आया?
इस एक दिन के अभियान ने कई लोगों के लिए बड़ा झटका साबित किया।
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व्यापारी: प्रचार बंद होने से ग्राहकों की संख्या घटने की चिंता
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नेता: अगले चुनाव से पहले ‘फेस वैल्यू’ कम हो जाने का डर
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छोटे व्यवसाय: खुद को बाजार में दिखाने का बड़ा जरिया चला गया
🧍 एक छोटे दुकानदार रमेश यादव ने कहा
“हमने तो बस दुकान के सामने छोटा सा बोर्ड लगाया था। कोई सड़क पर नहीं आ रहा था। लेकिन वो भी उतार दिया गया।”
क्या आगे भी चलेगा यह अभियान?
ईओ सुनील कुमार सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह कोई एक दिन की कार्रवाई नहीं थी।
“हम इस अभियान को नियमित तौर पर चलाएंगे। जो भी व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति के होर्डिंग लगाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
इसका मतलब साफ है – यदि आप प्रचार करना चाहते हैं, तो नियमों का पालन करना ही पड़ेगा।
क्या करना चाहिए, क्या नहीं?
इस घटना से हर व्यापारी, नेता और संस्थान को एक सबक मिला है कि प्रचार जरूरी है, लेकिन कानूनी दायरे में रहकर।
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सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग लगवाने से पहले नगर पालिका से अनुमति लेना जरूरी है
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सड़क, बिजली के पोल या ट्रैफिक सिग्नल के पास होर्डिंग लगाना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकता है
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नियमों का पालन करेंगे, तो व्यवसाय और छवि – दोनों सुरक्षित रहेंगे
छिबरामऊ में चला यह होर्डिंग हटाओ अभियान न सिर्फ नगरपालिका की सतर्कता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि शहर को व्यवस्थित और सुरक्षित रखना हर किसी की जिम्मेदारी है। जिन लोगों ने नियमों की अनदेखी कर अपने प्रचार को प्रमुखता दी, उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन यह नुकसान केवल पैसों का नहीं, बल्कि विश्वास और प्रतिष्ठा का भी था।
इसलिए अब समय आ गया है कि हम सभी अपने शहर को बेहतर बनाने में सहयोग करें – चाहे वो छोटा व्यापारी हो या बड़ा नेता।